उत्तर प्रदेश में कार्यरत सरकारी कर्मचारी यदि कोई वारिस नहीं छोड़ जाता तो न्यायालय द्वारा तय किए गए उत्तराधिकारी को उनकी ग्रेच्युटी पाने का अधिकार होगा। सोमवार को कैबिनेट ने वित्त विभाग से जुड़े इस अहम प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की।
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उत्तर प्रदेश रिटायरमेंट बेनेफिट रूल्स-1961 के तहत सरकारी कर्मचारी की मृत्यु
सेवा में रहते हुए या सेवानिवृत्ति के बाद ग्रेच्युटी की धनराशि प्राप्त किए बिना
हो जाती है और वह अपने पीछे कोई परिवार नहीं छोड़ जाता, न ही कोई नामांकन करता है तो उसे दी
जाने वाली ग्रेच्युटी की राशि सरकारी खजाने में समाहित हो जाती थी।
कैबिनेट ने मौजूदा नियम में संशोधन के
साथ उसे शिथिल करते हुए नामिनी को ग्रेच्युटी का लाभ देने का रास्ता साफ कर दिया
है।
सरकार के निर्णय में साफ किया गया है
कि यदि किसी कर्मचारी की मृत्यु सेवा में रहते या सेवानिवृत्ति के उपरांत
ग्रेच्युटी की धनराशि प्राप्त किए बिना हो जाती है और उसने अपने पीछे कोई परिवार
नहीं छोड़ा है,
न ही कोई नामांकन किया है तो
ग्रेच्युटी की राशि का भुगतान उस व्यक्ति को किया जा सकता है, जिसके पक्ष में किसी सक्षम न्यायालय
द्वारा उत्तराधिकार प्रमाणपत्र प्रदान किया गया हो।
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