इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि दुर्भावना या पक्षपात से की गई प्रशासनिक या अनुशासनात्मक कार्रवाई कानून की नजर में टिक नहीं सकती।
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इस टिप्पणी संग कोर्ट ने गौतम बुद्ध
विश्वविद्यालय की ओर से स्टाफ ऑफिसर मीना सिंह की सेवा समाप्ति के आदेश को रद्द कर
दिया।
कोर्ट ने रजिस्ट्रार को याची को उनके
पद पर बहाल करने का निर्देश दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान की एकल पीठ
ने मीना सिंह की याचिका पर दिया।
ग्रेटर नोएडा स्थित गौतम बुद्ध विवि
में मीना सिंह 08 जुलाई 2010 को संविदा के आधार पर निजी सचिव के पद
पर नियुक्त हुई थीं।
13 अप्रैल 2018 को उन्हें नियमित कर दिया गया। 18 सितंबर 2018 को उन्हें कुलपति के स्टाफ ऑफिसर के
रूप में पदोन्नत किया गया।
इस दौरान उनकी नियुक्ति और पदोन्नति
में अनियमितताओं का आरोप लगा एक शिकायत की गई। इस पर 18 अगस्त 2020 को उन्हें निलंबित कर दिया गया। बाद
में 14 दिसंबर 2024 को उनकी सेवा समाप्त कर दी गई। इसे
उन्होंने हाईकोर्ट में चुनौती दी।
अधिवक्ता ने दलील दी कि मीना सिंह ने
विश्वविद्यालय के तत्कालीन रजिस्ट्रार के खिलाफ दुर्व्यवहार की शिकायत दर्ज कराई
थी। इसके चलते अनुशासनात्मक कार्रवाई प्रतिशोध की भावना से की गई थी।
14 दिसंबर 2024 को तीसरी बार उनकी सेवाएं समाप्त की
गई थीं। पहले की दो सेवा समाप्ति के आदेशों को भी हाईकोर्ट की ओर से रद्द किया जा
चुका था।
एकलपीठ ने 14 दिसंबर 2024 के सेवा समाप्ति के आदेश को रद्द कर
दिया। कोर्ट ने विश्वविद्यालय के संबंधित अधिकारियों के प्रति नाराजगी व्यक्त की।
कहा, कोर्ट के निर्देशों की अवहेलना करते
हुए याचिकाकर्ता को दंडित करने के उद्देश्य से एक नई जांच की।
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