केंद्रीय कर्मचारियों को गारंटीशुदा पेंशन देने वाली एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) की शुरुआत एक अप्रैल से होने जा रही है।
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केंद्रीय कर्मचारियों को गारंटीशुदा
पेंशन देने वाली एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) की शुरुआत एक अप्रैल से होने जा रही
है। मौजूदा और नए भर्ती होने वाले कर्मचारी इस नई पेंशन योजना में शामिल होने के
लिए ऑनलाइन अथवा ऑफलाइन दोनों ही तरीके से आवेदन कर सकेंगे।
खास बात यह है कि कर्मचारियों को आवेदन
करते वक्त अपने लिए पंजीकृत पेंशन निधि और निवेश पैटर्न का विकल्प भी चुनना होगा
ताकि उनके जमा कोष का उचित तरीके से निवेश हो सके तथा उन्हें अच्छा रिटर्न प्राप्त
हो सके।
यह तरीका राष्ट्रीय पेंशन योजना की
तर्ज पर काम करेगा। इसके साथ ही कर्मचारियों को इस पेंशन योजना में आंशिक निकासी
की अनुमति भी मिलेगी।
यूपीएस का प्रबंधन पेंशन कोष नियामक और
विकास प्राधिकरण करेगा।
यूपीएस से कौन जुड़ सकते हैं
पीएफआरडीए की अधिसूचना के मुताबिक, जो 1 जनवरी 2004 के बाद सरकारी सेवा में शामिल हुए
वर्तमान कर्मचारी,
जिन्होंने राष्ट्रीय पेंशन योजना
(एनपीएस) को चुना है,
केवल उन्हें यूपीएस से जुड़ने का मौका
मिलेगा।
इसके साथ ही 1 अप्रैल 2025 को और इसके बाद सेवा में शामिल होने
वाले नए कर्मचारी इस पेंशन योजना से जुड़ सकते हैं।
इसके अलावा एनपीएस अपनाने वाले जो
कर्मचारी अब सेवानिवृत्ति हो चुके हैं, वे भी इसे अपना सकते हैं।
कर्मचारी को हटाए जाने या बर्खास्त किए
जाने या इस्तीफे के मामले में यूपीएस या सुनिश्चित भुगतान विकल्प उपलब्ध नहीं
होगा।
सदस्य कोई एक योजना ही चुन पाएंगे
सरकार ने वर्तमान और नए कर्मचारियों के
लिए एनपीएस और यूपीएस दोनों से से किसी एक को चुनने के विकल्प खुले रखे हैं।
अधिसूचना में स्पष्ट किया गया है कि
कर्मचारियों को यह विकल्प मिलेगा कि वे एनपीएस के तहत यूपीएस का विकल्प चुनें या
बिना यूपीएस विकल्प के एनपीएस को जारी रखें। एक बार विकल्प चुनने के बाद उसमें
बदलाव नहीं किया जा सकेगा।
निवेश विकल्प मिलेगा
यूपीएस चुनने वाले कर्मचारियों को
एनपीएस की तर्ज पर निवेश पैटर्न चुनने का विकल्प भी मिलेगा। यानी वे अपने
व्यक्तिगत जमा कोष को पीएफआरडी द्वारा निर्धारित किसी निवेश योजना में लगा सकते
हैं।
इसमें होने वाला लाभ सीधे कर्मचारी को
मिलेगा। यदि कर्मचारी कोई निवेश योजना नहीं चुनता है तो वह डिफाल्ट पैटर्न में
खुद-ब-खुद चला जाएगा।
इसका मतलब यह है कि इस स्थिति में
पीएफडीआरडी द्वारा निर्धारित निवेश योजनाओं में सदस्य के जमा को निवेशित किया
जाएगा।
आंशिक निकासी कर सकेंगे
इसके साथ ही यूपीएस में शामिल होने की
तारीख से तीन साल पूरे होने के बाद सदस्य अपने व्यक्तिगत कोष से 25 फीसदी तक रकम निकाल सकते हैं।
पूरी योजना के दौरान अधिकतम तीन बार
निकासी की जा सकती है।
यदि एनपीएस के तहत पहले निकासी की गई
हो तो उसे भी इसमें गिना जाएगा। निकासी के लिए कुछ शर्तें लागू होंगी, जिन्हें सदस्यों को पूरा करना होगा।
सेवानिवृत्ति कर्मियों के लिए टॉप-अप प्रक्रिया
इसके अलावा एनपीएस अपनाने वाले जो
कर्मचारी अब सेवानिवृत्ति हो चुके हैं, वे भी इसे अपना सकते हैं। ऐसे
कर्मचारियों को एनपीएस फंड की राशि का समायोजन करने के बाद पेंशन मिलेगी।
अधिसूचना में कहा गया है कि पीएफआरडीए
ऐसे कर्मियों के लिए टॉप-अप राशि उपलब्ध कराने के लिए नई व्यवस्था लागू करेगा।
ये भी शर्तें लागू होंगी
● यूपीएस के जरिए पेंशन पाने के लिए कम
से कम 10 साल की सेवा होना जरूरी है।
● एनपीएस की तर्ज पर यहां भी मूल वेतन से
10 प्रतिशत का अंशदान करना होगा।
● सरकार 18.5 प्रतिशत योगदान करेगी। यानी इस योजना
में कर्मचारी और सरकार का कुल योगदान 28.5 फीसदी होगा।
● इस योजना में प्रति माह 10,000 रुपये की न्यूनतम सुनिश्चित पेंशन दी
जाएगी।
● अगर कर्मचारी ने 25 वर्षों की सेवा दी है तो उसके अंतिम
कार्य वर्ष के 12 महीनों के औसत मूल वेतन की 50 प्रतिशत राशि बतौर पेंशन दी जाएगी।
इन मामलों में आंशिक निकासी कर सकेंगे
1. अपनी या बच्चों की पढ़ाई अथवा शादी के
लिए।
2. अपने या पति/पत्नी के साथ मिलकर घर/फ्लैट
खरीदने या बनाने के लिए (अगर आपके पास पहले से घर नहीं है, वंश से मिली संपत्ति को छोड़कर)।
3. खुद, पति/पत्नी, बच्चों (कानूनी दत्तक बच्चों सहित) या
माता-पिता की गंभीर बीमारी के इलाज के लिए, जिसमें अस्पताल में भर्ती होना पड़े।
4. विकलांगता या अशक्तता की वजह से होने
वाले मेडिकल या अन्य खर्चों के लिए।
5. दक्षता कौशल, री-स्किलिंग या खुद के विकास से जुड़े
खर्चों के लिए।
वर्तमान कर्मचारी
1 जनवरी 2004 के बाद सरकारी सेवा में शामिल मौजूदा
कर्मचारी, जिन्होंने एनपीएस को चुना है, वे यूपीएस को चुन सकते हैं। उन्हें फॉर्म
ए2 भरना होगा।
नए भर्ती कर्मचारी
1 अप्रैल 2025 को या इसके बाद सेवा में शामिल होने
वाले नए कर्मचारी भी इस विकल्प को चुन सकते हैं। उन्हें फॉर्म ए1 भरना होगा।
सेवानिवृत्त कर्मी
जो कर्मचारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं
और जो एनपीएस से जुड़े थे,
वे भी यूपीएस में शामिल हो सकते हैं।
उन्हें केवाईसी दस्तावेजों के साथ फॉर्म बी2 जमा करना होगा।
कर्मचारी की मृत्यु होने पर
कर्मचारी की मृत्यु की स्थिति में, कानूनी रूप से विवाहित पति या पत्नी को
केवाईसी दस्तावेजों के साथ फॉर्म बी6 प्रस्तुत करना होगा।
वीआरएस मामले
स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) लेने
के मामलों में 25 साल की सेवा का प्रावधान लागू होगा।
इसका मतलब यह है कि ऐसे कर्मचारियों को यूपीएस में शामिल होने के लिए 60 साल की उम्र पूरी होने का तक इंतजार
करना होगा।
अंशदान पैटर्न और निवेश विकल्प
● व्यक्तिगत जमा कोष: इस फंड में कर्मचारी जो 10 फीसदी अंशदान करेगा, उसे जमा किया जाएगा। इसके साथ ही सरकार
की ओर से किए गए 10 फीसदी अंशदान को भी जमा किया जाएगा।
इसका प्रबंधन पेंशन निधियां करेंगी।
● पूल जमा कोष: इस फंड में सरकार अपनी ओर से 8.5 फीसदी का अतिरिक्त अंशदान देगी। इसका
प्रबंधन पेंशन निधियों द्वारा किया जाएगा, जो केंद्र सरकार द्वारा अनुमोदित निवेश
पैटर्न और उससे संबंधित पहलुओं के अनुसार निधियों का निवेश करेगी।
व्यक्तिगत कोष में निवेश के विकल्प मिलेंगे
1. यूपीएस सदस्य के पास किसी भी पंजीकृत
पेंशन निधि और निवेश पैटर्न को चुनने का विकल्प मिलेगा। इसमें पेंशन नियामक
पीएफआरडीए द्वारा निर्धारित डिफाल्ट पैटर्न भी शामिल होगा।
2. यदि कोई सदस्य किसी का चुनाव नहीं करता
है तो उस पर डिफाल्ट पैटर्न लागू हो जाएगा।
3. यूपीएस सदस्य को पंजीकृत पेंशन निधि
चुनने पर उसे निवेश के कई विकल्प मिलेंगे।
● पूरे कोष को सरकारी प्रतिभूतियों में
निवेश किया जा सकता है। या
● इनमें से किसी एक जीवन-चक्र आधारित
योजना का विकल्प चुनना होगा।
● कंजर्वेटिव फंड: इसमें इक्विटी में
अधिकतम निवेश सीमा 25 तक निर्धारित की गई है।
● मॉडरेट फंड: इसमें इक्विटी में अधिकतम
निवेश सीमा 50
तक होगी।
ऑफलाइन तरीके से भी आवेदन
● पात्र कर्मचारी को अपने ऑफिस (जैसे
डीडीओ या पीएओ) या संबंधित नोडल कार्यालय में प्रक्रिया से जुड़ा उचित फॉर्म
(जैसे-ए1, ए2 और बी2) जमा करना होगा।
● डीडीओ को कर्मचारी के सेवा रिकॉर्ड के
अनुसार रोजगार विवरण की जांच करनी होगी और यह सुनिश्चित करना होगा कि फॉर्म ठीक से
भरा गया है और ग्राहक द्वारा उस पर विधिवत हस्ताक्षर किए गए हैं।
● यदि कुछ कारणों जैसे कि कर्मचारी
यूपीएस में स्थानांतरण के लिए पात्र नहीं है, गलत फॉर्म भरा गया है या दिए गए
दस्तावेज पर्याप्त नहीं है तो डीडीओ को फॉर्म अस्वीकार कर सकता है।
● यदि विवरण सही हैं और फॉर्म ठीक से भरा
गया है तो डीडीओ प्राप्त फॉर्म के आधार पर स्थानांतरण अनुरोध शुरू करेगा। वह सीआरए
ट्रांजैक्शन वेबसाइट के माध्यम से फॉर्म और अन्य जरूरी दस्तावेजों को अपलोड करेगा
और इस प्रक्रिया को पूरा करेगा।
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